नमस्कार दोस्तों यादो का सिनेमायी सफर मे आप का स्वागत है…
आज बात करेंगे शोले फिल्म की कव्वाली, आप लोग सोच रहे होंगे ये क्या बात कर रहे हो शोले फिल्म मे तो कोई कव्वाली है ही नहीं, जी हा दोस्तों शोले फिल्म जो की सलीम-जावेद ने लिखी थी इसमें कोई कव्वाली नहीं है, लेकिन जब सलीम-जावेद ने ये फिल्म लिखी थी, तो उन्होंने इसमें कव्वाली भी रखी थी |
और इस कव्वाली को लिखा था, महशूर गीतकार आनंद बक्शी साहब ने, ओर जैसा की शोले फिल्म का संगीत पंचम दा ने दिया था तो इसकी धुन भी पंचम दा ने बनाई थी, सलीम-जावेद ने कहानी के हिसाब से इस कव्वाली को एक जैसे कव्वाली का मुकाबला होता है दो ग्रुप मे इस तरफ से शूट करने का सोचा था |
पंचम दा की बनाई धुन पर इस कव्वाली को रिकॉर्ड भी कर लिया गया जिसमे चार गायक थे, क्या आपको पता है वो चार गायक कौन-कौन ? किशोर कुमार, भूपेंद्र, मन्ना डे ओर चौथे गायक थे आनंद बख्शी जी हा गीतकार आनंद बख्शी हा इस कव्वाली हम सबको आनंद बख्शी की भी आवाज सुनाई देती |
खैर आप लोग सोच रहे होंगे की ऐसा क्या हुआ जो इस कव्वाली को फिल्म मे रखा नहीं गया?
हुआ यु की फिल्म की जो लम्बाई थी वो ३ घंटे से ज्यादा हो गई थी इस कारण फिल्म से बहुत सारी सीन फिल्म के डायरेक्टर को हटाना पड़े, ओर इसमें ये कव्वाली को भी हटाना पड़ा, आप सब को पता है ना शोले फिल्म किसने बनाई है | रमेश सिप्पी जो की इस फिल्म के निर्माता/ निर्देशक थे, आप एक बार फिर बता दू इस फिल्म की कहानी लिखी थे सलीम जावेद ने |
ये कव्वाली के बोल कुछ ऐसे थे जो की गीतकार आनंद बख्शी साहब ने लिखे थे |
चाँद सा कोई चेहरा न पहलू में हो
तो चांदनी का मज़ा नहीं आता है…
अगर आप ने ये कव्वाली नहीं सुनी है तो अभी सुनिए…
आप को ये किस्सा केसा लगा आप निचे कमेटं बॉक्स मे लिख सकते हो….
धन्यवाद जय हिन्द
Bahut badiya
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I watched 100 time 🙂
I like this movie.
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