यादो का सिनेमायी सफर मे आप का स्वागत है, आज मदन मोहन ओर प्यारेलाल जी से जुड़ा किस्सा शेयर करने जा रहा हु, हो सकता है ये किस्सा आप ने भी कही सुना होगा या पड़ा होगा, मदन मोहन महान संगीतकार जिनका गीत सुन आज भी दिल को सुकून सा लगता है | प्यारेलाल जी, पूरा नाम बताऊ तो प्यारेलाल रामप्रसाद शर्मा ये वही लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल वाले प्यारेलाल जिनके सगींत ने 1963 से 1998 तक धूम मचा रखी थी, आज भी उनका गीत सुन कर दिल को सुकुन सा लगता है लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की बहुत सारी बाते किस्से शेयर करुगा | लकिन फ़िलहाल मदन मोहन ओर प्यारेलाल जी जुड़ा ये से ये प्यारा सा किस्सा…
लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ी बनने से पहले ये दोनों सगीतकार अलग अलग सगीतकारो के साथ सहायक के तौर पर काम करते थे | प्यारेलाल जी ने लगभग आठ साल की उम्र से वायलिन बजाना सीख लिया ओर उन्होंने कही हिंदी फिल्मो मे अपने वायलिन का जादू दिखाया | वो कोन सा गीत था जिसमे प्यारेलाल जी मदन मोहन के लिए वायलिन बजाया ओर वो आज मे आप के साथ शेयर कर रहा हु |
साल 1964 मे एक फिल्म आई थी जिसका नाम था “हकीकत” जिसका म्यूजिक मदन मोहन ने दिया था | इस फिल्म मे एक गाना था
मैं ये सोचकर उसके दर से उठा था
के वो रोक लेगी मना लेगी मुझको…
इस गाने आप ध्यान से सुनोगे तो इसमें दो ही इंस्टूमेंट सुनाई देंगे वायलिन ओर पायनो और जो वायलिन प्ले करा था वो प्यारेलाल जी ने करा था, प्यारेलाल जी बताते है की पहले इस गाने मे पहले बहुत इंस्टूमेंट लिए थे लकिन बाद मे मदन मोहन ने वायलिन ओर पायनो को ही रहने दिया ओर रफ़ी साहब की आवाज ने इस गाने मे जान डाल दी |
अगर आप ने ये गाना नहीं सुना है तो जरूर सुनियेगा।
इस तरफ मदन मोहन ओर प्यारेलाल जी की वायलिन ओर रफ़ी साहब को सुनने का हमें मौका मिला |
आप को ये किस्सा केसा लगा आप निचे कमेटं बॉक्स मे लिख सकते हो….
धन्यवाद जय हिन्द