गुलशन बावरा और अभिनय…

यादो का सिनेमायी सफर मे आप का स्वागत है.. आज बात करेंगे गीतकार गुलशन बावरा के अभिनय के बारे मे..

गीतकार गुलशन बावरा ने जिस तरह अपने गीतों से हमारे दिल मे जगह बनाई वो दर्द भरे गीत हो, या रोमांटिक गीत हो या भजन हो या फिर देश भक्ति गीत हो हर प्रकार के गीत उन्होंने लिखे है, उस तरह उन्होंने अभिनय मे भी अपना परचम लहरया जी हा दोस्तों मे गुलसन जी की ही बात कर रहा हु |

गुलसन जी के लिखे गीत तो आप को याद है ना “चांदी की दीवार न तोड़ी, प्यार भरा दिल तोड़ दिया” जो की मुकेश जी ने गाया था या फिर ये गाना जिसके लिए उन्हें बेस्ट गीतकार का फिल्म फेयर आवार्ड मिला था “मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती.. ” ये फिल्म “उपकार” का गाना था जो मनोज कुमार ने डायरेक्ट करी थी इस गाने का भी एक किस्सा याद आ रहा है, लकिन फ़िलहाल बात करेंगे गुलसन जी के अभिनय के बारे मे…

साल (1973) मे एक फिल्म आये थी “जंजीर” जिसे सलीम-जावेद ने लिखा था, ओर अमिताभ इसमें मुख्य कलाकार थे जिसे डायरेक्ट ओर प्रोडूस करा था प्रकाश मेहरा ने, संगीत दिया था कल्याण जी-आनंद जी ने.. इसमें एक गाना था “दीवाने हैं दीवानों को न घर चाहिए ना दर चाहिए मुहब्बत भरी इक नज़र चाहिए” जिसे खुद गुलसन जी ने लिखा था, इसी गीत मे उन्होंने अभिनय भी करा था… उनके साथ इस गाने में थी संजना ओर साथ ही अमिताभ ओर जाया जी भी नज़र आई इसके अलावा गुलसन जी ने कॉमेडी रोल करा है वो भी मे आप के साथ जल्दी ही शेयर करुगा |

हा, एक बात तो में बताना भूल ही गया, इस गीत को गाया है हमारे प्यारे रफ़ी साहब ने ओर लता दीदी ने…

अगर आप ने ये गान नहीं सुना है अभी सुनिए ओर देखिये जिसमे आप गुलसन जी नज़र आएंगे |

आप को ये किस्सा केसा लगा आप निचे कमेटं बॉक्स मे लिख सकते हो….

धन्यवाद जय हिन्द

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